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अगर आपको दूर या पास का कम दिखाई देता हे, गाड़ी ड्राइव करने के समय देखने में समस्या हो या आप दूसरे व्यक्ति के चेहरे के भावों को न पढ़ पाएं तो समझिए की आप की आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है।
भारत में 90 लाख से लेकर एक करोड़ बीस लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन है, हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते हैं। हमारे देश में 62.6 प्रतिशत नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद है। दुनिया भर में लगभग 20 मिलियन लोग मोतियाबिंद के कारण अंधे हैं, जो अंधेपन के 51% मामलों और 33% दृश्य हानि का कारण बनता है। मोतियाबिंद से अंधापन विकासशील दुनिया में प्रति 100,000 बच्चों में 10 से 40 बच्चों के बीच होता है , और विकसित दुनिया में प्रति 100,000 में 1 से 4 बच्चों के बीच होता है । उम्र के साथ मोतियाबिंद अधिक आम हो जाता है।
लेकिन अत्याधुनिक तकनीकों ने मोतियाबिंद (कैटरेक्ट सर्जरी) के ऑपरेशन को बहुत आसान कर दिया है। हाल में प्राप्त विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2003 से भारत में मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता में 25% की कमी आई है। इसका कारण है मोतियाबिंद सर्जरी के प्रति लोगों में जागरूकता। यह आर्टिकल के माध्यम से डॉ. सुरभि कपाड़िया जो की एक जानीमानी नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं नेत्र प्लास्टिक सर्जन उनकी व्यावसायिक डिग्रियाँ एमबीबीएस, एमएस, एफ.एल.वी.पी.ई.आई. (ओकुलोप्लास्टी)आदिक्यूरा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के विभाग नेत्र विज्ञान एवं नेत्र प्लास्टिक सर्जरी में अपनी सेवाएँ प्रदान करती हे।
मोतियाबिंद, आंख के लेंस की स्थिति है जिसे वर्धकीयता के कारण धुंधला बना दिया गया है। डॉ. सुरभि कपाड़िया, जो वडोदरा में सर्वश्रेष्ठ मोतियाबिंद सर्जन मानी जाती हैं, इस समस्या के सामने आने वाले व्यक्ति के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगी।
जानिए क्या होता है मोतियाबिंद?
लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना को जाता है। एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, प्रकाश नर्वस सिग्नल्स में बदल जाता है जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं। रेटिना शार्प और अच्छी प्रति प्राप्त करे इसके लिए जरूरी है कि लेंस स्वस्थ हो। जब लेंस क्लाउडी / धुंधला हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिससे जो प्रति आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है।इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया या कैटरेक्ट भी कहा जाता हैं।
आंख का लेंस एक स्वच्छ और पारदर्शी उत्तक होता है जो आंख के विपरीत छोर पर स्थित होता है। मोतियाबिंद तब होता है जब लेंस अपनी पारदर्शकता खो देता है, जिससे प्रकाश का सही से फोकस नहीं हो पाता और दृष्टि कमजोर हो जाती है।
मोतियाबिंद के प्रकार:
वयोजन्य मोतियाबिंद: उम्र के साथ आने वाला मोतियाबिंद।
बालकीय मोतियाबिंद: जन्म से ही होने वाला मोतियाबिंद।
विकसनशील मोतियाबिंद: अन्य रोगों या चोट के कारण विकसित होने वाला मोतियाबिंद।
मोतियाबिंद के कारण:
इसके मुख्य कारण में उम्र, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आंख की चोट, और अधिक धूप में समय व्यतीत करना शामिल हैं।
मोतियाबिंद क्यों होता है इसके कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं लगता है, लेकिन इसके मुख्य कारण हैं जो मोतियाबिंद का रिस्क बढ़ा देते हैं;
- उम्र का बढ़ना
- डायबिटीज
- अत्यधिक मात्रा में शराब का
- सेवन
- अधिक धूप में समय व्यतीत करना
- मोतियाबिंद का पारिवारिक
- इतिहास
- उच्च रक्तदाब
- मोटापा
- आंखों में चोट लगना या सूजन
- पहले हुई आंखों की सर्जरी
- धुम्रपान
मोतियाबिंद के लक्षण:
मोतियाबिंद के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरुआती चरण में इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। व्यक्ति धुंधली देखने लगता है, उसे रात को चलने में कठिनाई होती है, और उसे रोशनी में चमक भी हो सकती है।
मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षणों में:
- रात में देखने में कठिनाई
- धुंधली दृष्टि
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि
- रंगों को फीका देखना
- रोशनी के आसपास प्रभा मंडल देखना
- चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से देखने में परेशानी
- दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता
- बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में
- निरंतर बढ़ोतरी
- रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव
- रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना
- दोहरी दृष्टि (डबल विज़न)
- चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना
आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपको मोतियाबिंद है। लेकिन समय के साथ, मोतियाबिंद आपकी दृष्टि को धुंधला, धुँधला या कम रंगीन बना सकता है। आपको पढ़ने या अन्य रोजमर्रा की गतिविधियाँ करने में परेशानी हो सकती है। समय के साथ, मोतियाबिंद से दृष्टि हानि हो सकती है।
मोतियाबिंद का निदान:
डॉ. सुरभि कपाड़िया , नेत्र चिकित्सक विभिन्न परीक्षणों और जांचों के माध्यम से मोतियाबिंद का पता लगा सकते हैं, जैसे स्लिट-लैम्प परीक्षण, रिटिनोस्कोपी.
मोतियाबिंद का रोकथाम
हालांकि इसके बारे में कोई प्रमाणित तथ्य नहीं हैं कि कैसे मोतियाबिंद को रोका जा सकता है या इसके विकास को धीमा किया जा सकता है। डॉ. सुरभि कपाड़िया का मानना है कि कईं रणनीतियां मोतियाबिंद की रोकथाम में सहायक हो सकती हैं, जिसमें सम्मिलित हैः
- चालीस वर्ष के पश्चात नियमित
- रूप से आंखों की जांच कराएं
सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें सनग्लासेस लगाएं यह यूवी किरणों को ब्लॉक कर देता है - अगर आपको डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं।
- अपना वजन सामान्य बनाएं रखें
- रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें। इनमें बहुत सारे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आंखों को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
- धुम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम से कम करें
TOP 5 THINGS ONE SHOULD DO TO CARE FOR ONE’S EYES.
मोतियाबिंद का इलाज:
मोतियाबिंद का मुख्य इलाज सर्जरी है जिसमें धुंधला लेंस हटाया जाता है और कृत्रिम लेंस स्थापित किया जाता है। इसके लिए आप “सबसे अच्छा मोतियाबिंद सर्जन मेरे पास” या “वडोदरा में सबसे अच्छा मोतियाबिंद सर्जन” के साथ गूगल सर्च कर सकते हैं।
जब चश्मे या लेंस से आपको स्पष्ट दिखाई न दे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। सर्जरी की सलाह तभी दी जाती है जब मोतियाबिंद के कारण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित होने लगती है। सर्जरी में जल्दबाजी न करें, और डॉ. सुरभि कपाड़िया या आपके फॅमिली डॉक्टर की सलाह लेके बेस्ट आई सर्जन / बेस्ट मोतियाबिंद के डॉक्टर की सलाह लें क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज है तो इसमें देरी न करें।
सर्जरी के पश्चात् की देखभाल:
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद की देखभाल”महत्वपूर्ण हैं ताकि संपूर्ण रूप से ठीक होने में सहायता मिल सके।मोतियाबिंद सर्जरी के बाद पहले कुछ दिनों तक उन्हें आराम करना होता है। किसी भी घरेलू कार्य न करे और आपके परिवारजन की मदद लें। ठीक होने के दौरान भी आंखें संक्रमण या चोट लगने की चपेट में रहती हैं। इसका मतलब है कि दर्दी किसी भी ज़ोरदार गतिविधि से बचना चाहिए।
मोतियाबिंद सर्जरी के बाद क्या करें और क्या न करें या सावधानियां
- अपनी आंखों को अपने हाथों से न रगड़ें। …
- 20 दिनों तक सामान्य पानी से आँख धोने की अनुमति नहीं है।
- ऐसी गतिविधियों में लिप्त न हों जिनसे आपकी आँखों को नुकसान हो सकता है।
- भारी वजन न उठाएं।
मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है।
मोतियाबिंद की सर्जरी की प्रक्रिया:
सर्जरी में, धुंधला लेंस हटाया जाता है और वायरिक्रिस्त लेंस स्थापित किया जाता है। कॉर्निया के किनारे पर एक बहुत छोटा सा चीरा लगाया जाता है जो आमतौर पर माइक्रोस्कोप से देख सकते हे, और आंख के अंदर एक पतली जांच डाली जाती है। इस जांच के माध्यम से अल्ट्रासाउंड तरंगें पारित की जाती हैं। ये तरंगें आपके मोतियाबिंद को तोड़ देती हैं। इसके बाद टुकड़ों को सक्शन किया जाता है। इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज़ की आँख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस आरोपित किया जाता है, कृत्रिम लेंसों को इंट्रा ऑक्युलर लेंस कहते हैं, उसे उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जहां आपका प्रकृतिक लेंस लगा होता है।
मोतियाबिंद का सही समय पर पहचानना और उपचार करवाना आपकी दृष्टि को बचा सकता है। डॉ. सुरभि कपाड़िया इस क्षेत्र में आपके साथ हर कदम पर हैं, ताकि आपकी दृष्टि सुरक्षित और स्वस्थ रहे।
यह माहिती गुजराती में जानने के लिए